सोमवार, सितंबर 11, 2006

चलते-चलते यूंही

जरा सी छींक
चार दिन की छुट्टी
बहाना रेडी


सब उदास
हो गया है जब से
कुत्ता बिमार

पढ़ा इसे तो
निकला ज़िगर से
मेरा हाइकु

अब समझा
मुश्किल हुआ कैसे
लिखना हाइकु


मैं हीरा तो हूँ
मगर जमीं तले
तराशे कौन
तारीफ़ मेरी
बरसो से तरसा
करता कौन?

कुन्दन कहा
फ़िर बताओ कैसे
रहता मौन?

प्यार है छुपा
आपके इस "तु" में
करू नमन॥

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