मंगलवार, सितंबर 12, 2006

कुछ नारद जी के लिए

शुक्रिया करूँ
के दूँ सम्मान, और
लिखुँ हाइकु

आप बताएँ
मैं अपना कर्तव्य
कैसे निभाऊ

आजा नारद
हुए बेहाल हम
जल्दी वापस

बिना तुम्हारे
लग रहा ऐसे, हूँ
जैसे निर्जीव

उम्मीद हमें
दुआ हमारी, नहीं
जाएगी खाली

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