बुधवार, सितंबर 13, 2006

नारद जी के लिए - II

नाहर जी भी
अब हुए बैचेन
मेरी तरह

नारद सुनो
ये तड़ित आवाज
जो सुन सको

बताओ हमें
सब तरफ़ सून
कब लौटोगे

तुम्हारे बिना
नर्क से बद्तर
खाक़ जीवन

अब क्या कहूँ
समझ नहीं आता
दिल बैचेन

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