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प्रितम की याद में ॰॰॰
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
नारद जी के लिए - II
कुछ नारद जी के लिए
नारी
देश की दशा
चलते-चलते यूंही
हे आरक्षण
प्रितम के लिए
बुधवार, सितंबर 13, 2006
नारद जी के लिए - II
नाहर जी भी
अब हुए बैचेन
मेरी तरह
नारद सुनो
ये तड़ित आवाज
जो सुन सको
बताओ हमें
सब तरफ़ सून
कब लौटोगे
तुम्हारे बिना
नर्क से बद्तर
खाक़ जीवन
अब क्या कहूँ
समझ नहीं आता
दिल बैचेन
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गिरिराज जोशी
एक खण्डहर जो अब साहित्यिक ईंटो से पूर्ननिर्मित हो रहा है...
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